सपा नेत्री रचना सिंह ने हुयी ओलावृष्टि मे गांव गांव जाकर लोगो से हाल चाल पूछे
ईश्वर की पत्थर-बाज़ी
बिल्हौर विधानसभा की सपा नेत्री रचना सिंह ने हुयी ओलावृष्टि मे गांव गांव जाकर लोगो से हाल चाल पूछे पूछने पर पता चला ऐसा तूफ़ान गाँव के बुजुर्गों के बुजुर्गों ने भी नहीं देखा, मार्ग अवरुद्ध हो गए, गाड़ियों के शीशे टूट गए, लोगों की छतें उड़ गईं, पेड़ों के फल-पत्तियाँ सब उजड़ गईं केवल डुंडे ही खड़े हैं सब के सब। बिजली के खम्भे उखड़ कर टेढ़े-मेढ़े पड़े हैं मार्गों पर। सड़कें, मैदान, नालियाँ, हर जगह पत्तियों से पटी पड़ी है। खेत में लौकी, तरोई, कद्दू के ढेर रखे हैं जैसे किसी किसान ने बेंचने के लिए तोड़ कर रखे हों, उनकी बेल-पत्ती सब गायब है। मानो उन्हें बोया ही न गया हो।
एक तो सबसे असहनीय दृश्य देखा जिससे मन शान्त हो गया, जब ये तबाही मच रही थी। सभी सुरक्षित जगह ढूंढ रहे थे जान बचाने के लिए। उसी समय दो चरवाहे दस बकरियों के साथ एक स्कूल की बाउंड्री के पीछे बैठ कर अपने को जैसे-तैसे बचाने की कोशिश कर ही रहे थे कि पूरी दीवार पसर गई किसी थकी हुई देह की तरह जिससे उनका सबों का शरीर शान्त हो गया। तूफान की वीभत्स आवाज के आगे उनकी चीखें शायद ही सुनाई दी हों।
कोरोना से तबाह किसान के पास आख़िरी उम्मीद थी सब्जी, वो भी अब लुप्त हो गई घण्टे भर में। मतलब जिनसे सुबह सोच होगा कि शाम को लौकी तोड़ेंगे उनके लिए टूटी रखी है खेत में, जाओ उठा लो। पता नहीं क्यों सबका दुःख हमें अपना सा लगता है। और पशु-पक्षियों का कष्ट हो बयान भी नहीं हो सकता, घोंसले गायब है, अंडों से निकल कर प्री-मैच्योर बेबी मरे पड़े हैं जिनको देख कर उनके माता-पिता चीं-चीं-चीं कर रहे हैं।
एक और दिक्कत हुई इससे वो यह कि बेल-पत्र सारे फट गए हैं एक भी पत्ती साबित नहीं बची, कल कैसे अर्पित करेंगे महादेव को।
भगवान के किये पर प्रश्न नहीं उठाया जा सकता क्योंकि उनका ही है सब जब चाहें छीन लें उनसे कोई हिसाब भी नहीं ले सकता। बस ये लगता है हम लोगों ने जाने-अनजाने में कितनी चोट पहुंचाई है प्रकृति को कि वो तरस खाने की बजाय बरस रही है तेज़ाब बन कर।
फिलहाल विद्युत विभाग हफ्ते भर बाद तक आपूर्ति कराने में अपने घोड़े खोल दे फिर भी नहीं करा पायेगा। क्योंकि ऐसी कोई लाइन नहीं जहाँ के पोल उखड़ न गए हों!
बिल्हौर सवांददाता राहुल मिश्रा की रिपोर्ट