सड़क पर चल रहे लोगों के खून पसीने से इमारतें बनी, अगर हमारी बसें चलने देते तो अब तक 92000 लोग घर पहुंच चुके होते–प्रियंका गांधी


-राजनीतिक परहेजों को दूर करते हुए सकारात्मक और सेवाभाव से लोगों की मदद में शामिल हो–


-सभी की इनके प्रति जिम्मेदारी है ये राजनीति करने का वक्त नहीं, सरकार चाहे तो बसों की नई लिस्ट दे सकते हैं–


लखनऊ, 20 मई 2020, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि अगर यूपी बॉर्डर पर खड़ी कांग्रेस की बसों को चलाने की अनुमति दी गई होती, तो अब तक 92 हजार प्रवासी श्रमिक भाई-बहन अपने घरों को पहुंच गए होते। उन्हें पैदल चलने की दुश्वारियों से मुक्ति मिल गई होती। प्रियंका ने कहा कि कोरोना संकट के इस काल में हर जिले में कांग्रेस के छोटे-बड़े कार्यकर्ता जरूरतमंदों की मदद करते रहेंगे।


प्रियंका ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कहा कि मैं लगातार वीडियो देख रही हूं कि हमारे प्रवासी भाई-बहन पैदल ही अपने गांव की ओर जा रहे हैं। कोई गुजरात से आ रहा है तो कोई कश्मीर से और उन्हें बिहार तक जाना है। इनमें हमारी गर्भवती बहनें भी शामिल हैं जो रोज 6 से 8 घंटे पैदल चल रही हैं। उनकी गोद में बच्चे भी हैं। एक इतना हृदय-विदारक वीडियो मैंने देखा, जिसमें एक बुजुर्ग दंपती अपने पोते-पोतियो को उठाकर चल रहे हैं।


प्रियंका गांधी ने कहा कि ये वे श्रमिक भाई-बहन हैं, जिनके खून-पसीने से हमारी इमारतें बनी हैं। इनसे हमारा देश चलता है। और हम सबको अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी सड़क पर चल रहे वो लोग हैं जिन्होंने भारत देश बनाया है और उनके खून पसीने से देश चलता है मेरी आपकी हर राजनीतिक दल की और हर सरकार की इनके प्रति जिम्मेदारी है ये राजनीति करने का वक्त नहीं है, बहुत ही स्पष्ट हूं कि हर राजनीतिक दल अपने राजनीतिक परहेजों को दूर करते हुए सकारात्मक भाव से सेवा भाव से लोगों की मदद में शामिल हो।


उन्होंने कहा कि जब लॉकडाउन की घोषणा की गई थी, उसी समय हमने हर जिले में अपने वालंटियर ग्रुप बना दिए थे। हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिए थे। साझी रसोई खोल दी थी और हाईवे टास्क फोर्स का गठन भी कर दिया था। अब तक कांग्रेस के छोटे-बड़े कार्यकर्ता 67 लाख लोगों की मदद कर चुके हैं। इनमें से 60 लाख लोग यूपी के हैं।


सरकार चाहे तो नई लिस्ट दे सकते हैं..


प्रियंका गांधी ने कहा कि हम इन विवादों में नहीं पड़ना चाहते। सरकार कह रही है कि कुछ नंबर गलत हैं। हम नई लिस्ट दे सकते हैं। मंगलवार शाम से ये बसें बॉर्डर पर खड़ी हैं। हमने सरकार से ये भी अपील की है कि इन बसों का बुधवार 4 बजे तक इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी जाए। बेशक इनमें भाजपा के झंडे लगा दिए जाएं। बेशक आप यह कह दें कि यह आपने ही उपलब्ध कराई हैं। हम इस राजनीतिक उलझन में बिल्कुल भी नहीं पड़ेंगे लेकिन सरकार ने हमें इसकी अनुमति नहीं दी। इसी का नतीजा है कि श्रमिक बहन-भाई आज पैदल चल रहे हैं।


रिपोर्ट @ आफाक अहमद मंसूरी