बैंड न बाजा बारात, सहरे घूंघट और मास्क, लखनऊ में लॉक डाउन में सातों वचनों में नव दंपति शादी के गठबंधन में हुए लॉक


-जिलाधिकारी की परमिशन लेकर महज 5 से 8 लोगों की मौजूदगी में शादी हुई..



-आयुष ने बताया कि मेरी शादी में नाना नानी ने डिजिटल युग में पहली ऑनलाइन शादी में शरीक हुए और आशीर्वाद दिया..


लखनऊ, 08 मई 2020, घराती ना हैं बराती लिए बन्ना जायेगा बन्नी के लिए, अरमानों की दुनिया साथ लिए, लॉक डाउन में गठबंधन में लॉक हुए, बैंड न बाजा बारात, सहरे, घूंघट और मास्क, जी हां राजधानी में बीते चालीस दिनों बाद लॉकडॉउन में सातों वचनों में नव दंपति शादी के गठबंधन में लॉक होते हुए नजर आए। न हल्दी मेहंदी मण्डप के गीत न शोरशराबा न शोशेबाजी। कोरोना काल में नव दंपत्ति द्वारा नए युग की नई कहानी का आरम्भ संग कई रूढ़ियों को तोड़ते हुए लॉक डाउन की शादियों में 'रस्मों रिवाज' की जगह 'टेक्नोलॉजी-नियमों' लेते नजर आए।


-हाथरस से आए दो बाराती..


गाड़ी में 25 साल की वंदना लाल जोड़े में सोलह शृंगार किए दुल्हन मास्क और घुंघट  में शर्माती नजर आई तो वहीं सेहरा और मास्क पहने अपनी दुल्हनिया को विदा कराता नजर आया।  ऐसा ही कुछ नजारा गुरुवार को पॉलिटेक्निक चौराहे पर देखने को मिला। हाथरस से अपनी दुल्हनिया वंदना को जितेंद्र महज दो बारातियों संग पहुंचे वहीं घरातियों में दुल्हन के चाचा-चाची, मम्मी और दीदी की मौजूदगी में सादगी से एक मंदिर में  दोनों की शादी रचाई गई।
वंदना और जितेंद्र दोनों ने कहा कि हम दोनों बेहद ही खुश हैं कोरोना काल के बाद भी देश में ऐसे ही शादियां होनी चाहिए जिससे दहेज प्रथा समेत अन्य कुप्रथा समाज से मिट सके। वंदना ने बताया कि मेरे पापा और भाई देश में बंदी के कारण लुधियाना में फंसे हैं लेकिन डीएम से परमिशन मिलने के बाद नियमों का पालन करते हुए अपने नए सफर की शुरुआत की।


-टेक्नोलॉजी और नियमों से घिरी शादी..


बीते महीने गोमतीनगर के रहने वाले आयुष ने शादी को ना टालते हुए आयुषी के संग सात जन्मों साथ रहने की कसमें खाई। जिलाधिकारी की परमिशन लेकर महज 5 से 8 लोगों की मौजूदगी में शादी हुई। आयुष ने बताया कि मेरी शादी में नाना नानी ने डिजिटल युग में पहली ऑनलाइन शादी में शरीक हुए और आशीर्वाद दिया। उन्होंने बताया कि आम दिनों में जहां बन्ना बन्नी गीत हल्दी मेहंदी और तमाम तरह की रस्मों से शादी घिरी रहती थी वहीं आज बन्दी के समय शादी टेक्नोलॉजी और नियमों से घिर गई है। 


रिपोर्ट @ आफाक अहमद मंसूरी