राजधानी लखनऊ में कोरोना के डर से डॉक्टर ने नहीं किया इलाज, मासूम की मौत


राजधानी लखनऊ में कोरोना के डर से डॉक्टर ने नहीं किया इलाज, मासूम की मौत



 आरोप है कि डॉक्टरों ने समय पर बच्चे को नहीं देखा अन्यथा उसकी जान बच जाती, बच्चे को कोरोना नहीं, बल्कि सांस की नली में दूध फंसने की जानकारी दी गई थी..


लखनऊ, 02 अप्रैल 2020, कोरोना का डर आम लोगों में ही नहीं डॉक्टरों में भी समा गया है। लखनऊ में भय के चलते बुधवार रात एक मासूम की जान चली गई। असल में सांस की नली में दूध फंसने से बच्चे को परेशानी हुई, वह रोने लगा। सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। डॉक्टरों ने कोरोना संक्रमित समझकर उसे छूने की जहमत नहीं उठाई। दूर से देखकर शिशु को केजीएमयू भेज दिया। रास्ते में शिशु की मौत हो गई।
लखनऊ के जानकीपुरम सेक्टर-एफ निवासी निशांत सिंह सेंगर के 5 महीने का बच्चा मंगलवार रात दूध पीने के बाद सो गया। रात करीब 12 बजे अचानक वह रोने लगा। मां निशा ने शिशु को गोद में उठाया। चुप कराने की कोशिश की पर उसका रोना बंद नहीं हुआ। घबराए परिवारीजन शिशु को लेकर जानकीपुरम के निकट अस्पताल में लेकर गए। वहां ताला लगा हुआ था। काफी देर परिवारीजनों ने अस्पताल का दरवाजा खटखटाया। किसी ने दरवाजा नहीं खोला।


निजी अस्पताल में सभी डॉक्टर ने बच्चे का इलाज करने से मना किया और किसी डॉक्टर ने बच्चे को हाथ नहीं लगाया..


इसके बाद परिवारीजन रिंग रोड स्थित एक निजी अस्पताल में गए। वहां भी बच्चे को किसी ने हाथ नहीं लगाया। इस दौरान उसे सांस लेने में तकलीफ बढ़ गई। परिवारीजन बच्चे को लेकर निशातगंज स्थित निजी अस्पताल पहुंचे। यह बच्चे की हालत देख डाक्टरों ने उसे छूने से इंकार कर दिया। परिवारजनों से यात्रा संबंधी जानकारी लेने लगे। इस दौरान शिशु के मामा शुभम सिंह सेंगर ने बच्चे को देखने की गुजारिश की। डॉक्टरों ने एक न सुनी।
शुभम ने बताया कि डॉक्टरों ने बच्चे को कोरोना संक्रमित समझा। उसे केजीएमयू ले जाने की सलाह दी। इलाज में देरी से बच्चे की समस्या बढ़ती चली गई और रास्ते में शिशु की सांसें थम गई। शुभम का आरोप है कि डॉक्टरों ने समय पर बच्चे को नहीं देखा। अन्यथा उसकी जान बच जाती। बच्चे को कोरोना नहीं, बल्कि सांस की नली में दूध फंस गया होगा। इसकी जानकारी भी दी गई, लेकिन डॉक्टरों ने एक नहीं सुनी। 


रिपोर्ट @ आफाक अहमद मंसूरी