14 अप्रैल डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती पर संयम, संकल्प और समझदारी दिखाने की जरूरत- सुनील दत्त

14 अप्रैल डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती पर संयम, संकल्प और समझदारी दिखाने की जरूरत- सुनील दत्त


रायबरेली


वरिष्ठ प्रवक्ताःः सुनील दत्त की अपील


        14 अप्रैल डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती पर संयम, संकल्प और समझदारी दिखाने की जरूरत है । अति उत्साह में लॉक डाउन का  उल्लंघन  नहीं करना है।  कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते संपूर्ण देश में लॉक डाउन चल रहा है । 14 अप्रैल को लॉक डाउन का प्रथम चरण समाप्त हो रहा है । हमें भी लॉक डाउन का पालन करना है । 
               भीम पुत्रों से निवेदन है कि वे अपने स्तर से अपने घरों में अंबेडकर जयंती  धूमधाम से मनाएं । बाहर निकल कर प्रदर्शन करने की आवश्यकता नही है ।  घर पर ही सुबह से शाम तक का कार्यक्रम बनाएं।  सुबह घर परिवार वालों के साथ पूजा बंदना की शुरुआत करें। पुष्पांजलि, दीप प्रज्वलन, धूप और सुगंध के बाद बुद्ध वंदना, त्रिशरण और पंचशील ग्रहण करें। भीम वंदना और भीम चर्चा करें । डॉ अंबेडकर के जीवन संघर्षों को घर परिवार के सदस्यों के बीच साझा करें । अच्छा भोजन बनाएं ।  घर को साफ सुथरा रखें। घर को सजाएं । अच्छे कपड़े पहनें। अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करें । संविधान का अध्ययन करें । संविधान का पालन करें । 
         शाम 7:30 बजे घर को रोशनी से जगमगाएं।  लाइट जलाएं । झालर लगाएं । दिये जलाएं। मोमबत्ती जलाएं । पटाखों से दूर रहें। गाना बजाना भी कर सकते हैं। मनोरंजन के लिए डॉ अंबेडकर पर बनी फिल्में देखें।डॉ. अंबेडकर द्वारा लिखित पुस्तकों का अध्ययन करें। (भगवान बुद्ध और उनका धम्म) "बुद्धा एंड हिज धम्मा", डॉ अंबेडकर संपूर्ण वांग्मय और भारतीय संविधान आदि का अध्ययन करें । 14 अक्टूबर 1956 धम्म विजयदशमी के दिन डॉ अंबेडकर द्वारा ली गई 22 प्रतिज्ञाओं का एक-एक कर अवश्य पालन करें । 
           14 अप्रैल के दिन 14 दीपक या मोमबत्ती अवश्य जलाएं । अष्टांगिक मार्ग पर चलने का प्रयास करें।  भगवान बुद्ध की 10 पारमितायें  विपश्यना के लिए अचूक औषधि हैं। इसको जीवन में उतारने की कोशिश करें । इस दिन से प्रतिदिन सुबह विपस्सना ध्यान साधना का अभ्यास प्रारंभ करें । पास - पड़ोस के असहाय,  लाचार लोगों की भोजन, पानी आदि  खाद्य सामग्रियों से मदद करें। असहाय जीव-जंतुओं व्यथा-  गाय, बंदर, बेसहारा कुत्ते, गिलहरी, चिडिया आदि जरूरतमंदों की भोजन पानी से मदद करें । बौद्ध भिक्षुओं को भोजन दान करायें, उन्हें धम्म दान दें।
           बच्चों में वैज्ञानिक समझ पैदा करें । उनमें तर्क क्षमता विकसित करें । उन्हें आडंबर और अंधविश्वासों से दूर रखें। उनके स्वतंत्र चिंतन पर पाबंदी न लगाएं। परिवार के वरिष्ठ जनों (बुजुर्गों ) का सम्मान करें। महिलाओं का आदर करें । उनकी भावनाओं का सम्मान करें। उन्हें भी अपने साथ भागीदार बनाएं ।
             मनीष श्रीवास्तव