साइबर ठगों का नया तरीका, फ्री रिचार्ज मैसेज भेजकर बैंक खाते से निकाल ले रहे हैं पैसे


साइबर ठगों का नया तरीका, फ्री रिचार्ज मैसेज भेजकर बैंक खाते से निकाल ले रहे हैं पैसे 



ऐसे मैसेज भेजने का मकसद फोन नम्बर, लोकेशन, नाम और शहर जानने के लिए किया जाता है, जिसे इकट्ठा कर डार्क वेब पर ऊंचे दाम में बेचा जाता है
 
लखनऊ, 26 मार्च 2020, लॉकडाउन के बीच सोशल मीडिया का इस्तेमाल और डाटा की खपत बढ़ गई है। जिसका फायदा साइबर ठग भी उठा रहे है। वारदात के लिए जालसाजों ने नया तरीका भी ईजाद कर लिया है। व्हाटसएप और फेसबुक पर फ्री मोबाइल रिचार्ज के मैसेज भेज कर लोगों को जाल में फंसा कर उनकी जानकारियां चोरी कर ब्लैक मार्केट में बेची जा रही हैं। जिसकी मदद से साइबर ठग रिमोट एक्सेस एप डाउनलोड करा कर खाते तक खाली कर सकते हैं। 
साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा बताते हैं कि कोरोना वॉयरस के चलते हुए लॉकडाउन के कारण लोग इंटरनेट का अधिक प्रयोग कर रहे हैं। उनके मुताबिक कोई भी टेलीकॉम कम्पनी फ्री में रिचार्ज या डाटा ऑफर नहीं करती है। ऐसे में ई-मेल, व्हाटसएप, फेसबुक या अन्य किसी माध्यम से फ्री रिचार्ज का ऑफर देने वाले लिंक को खोलने से परहेज करना चाहिए। क्योंकि ये साइबर ठगों का नया तरीका है। राहुल कहते हैं कि इस तरह के मैसेज भेजने का मकसद दूसरे व्यक्ति की फोन नम्बर, लोकेशन, नाम और शहर जानने के लिए किया जाता है। जिसे इकट्ठा कर डार्क वेब पर ऊंचे दाम में बेचा जाता है।


 फ्री के फेर में फंस कर कई लोग बिना सच्चाई जाने अपने साथ ही परिचितों की निजता को भी खतरे में डाल देते हैं..


उन्होंने बताया कि अधिकतर मैसेज में आए लिंक को खोलने पर उसमें नाम, फोन नम्बर और शहर के बारे में जानकारी भरने को कहा जाता है। साथ ही फ्री रिचार्ज का मैसेज अपने पांच या उससे अधिक लोगों को बढ़ाने के बाद ही आगे की प्रोसेस होने का दावा किया जाता है। साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक फ्री के फेर में फंस कर कई लोग बिना सच्चाई जाने अपने साथ ही परिचितों की निजता को भी खतरे में डाल देते हैं। 
रिमोट एक्सेस एप से खाते में सेंध, साइबर जालसाज लोगों की गोपनीय जानकारी चुराने के साथ ही उनको फोन कर रिचार्ज वाउचर हासिल करने का झांसा देकर बैंक डिटेल या यूपीआई की जानकारी तक जुटा लेते हैं। साइबर विशेषज्ञ के मुताबिक अधिकांश मामलों में वाउचर देने के बहाने ठग फोन करते हैं। फिर मोबाइल पर एक मैसेज भेज कर उस पर दिए गए लिंक को डाउनलोड करने के लिए कहते हैं। ठगों की मंशा से अंजान व्यक्ति लिंक पर क्लिक करता है। तो उसके मोबाइल पर रिमोट एक्सेस एप (टीम विवर,एनीडेस्क या क्विक सपोर्ट ) डाउनलोड हो जाती है। इस बीच जालसाज चिह्नति व्यक्ति को बातों में फंसा कर नौ डिजिट का कोड और पिन नम्बर पूछ लेता है। इसके बाद ठग के नियंत्रण में दूसरे व्यक्ति का फोन आ जाता है। जिसकी मदद से वह ई-वॉलेट को आसानी से इस्तेमाल कर रुपए निकाल सकता है।


रिपोर्ट @ आफाक अहमद मंसूरी