लॉकडाउन पर कोरोना के संकट में राम-रहीम की दोस्ती बनी मिसाल


संकट की इस घड़ी में इसे राम-रहीम की दोस्ती कहें या कुछ और, सही मायने में दोस्ती की मिसाल कायम की है दोस्त हुसैन ने..


लखनऊ, 28 मार्च 2020, दोस्ती हो या इंसानियत इसकी परख तब होती है जब मुसीबत की मार पड़ती है। ये वो समय होता है जब खून का रिश्ता भी फ़ीका जान पड़ता है तो कभी यूं ही कोई रिश्ता मिल जाता है कि आंखे छलक जाती है। कोरोना की महा आपदा में ऐसा ही एक रिश्ता दिव्यांग मदन को मिला और उसका दिल भर आया।
दरअसल पटना, बिहार का रहने वाला दिव्यांग मदन कुमार लखनऊ के गोमती नगर के पास एक कारखाने में काम करता है जहां मोहम्मद हुसैन से उसकी दोस्ती थी। मदन का कहना है कि कामकाज बंद होने के चलते मुझे पटना बिहार जाना था पर इतनी दूर कोई साधन नहीं मिल रहा था। तभी मेरे दोस्त मोहम्मद हुसैन ने मुझे सहारा देते हुए कहा कि 'चलो मैं अपने गांव प्रतापगढ़ ले चल रहा हूं, जब तक हालात ठीक नहीं होते तब तक तुम हमारे घर ही रहना, ये कहने के साथ ही हुसैन की दोस्ती को लेकर मदन का दिल भर आया। दोस्त हुसैन के साथ कई किलोमीटर पैदल चल कर मदन किसी तरह उतरेठिया शाहिद पथ के नीचे पहुंच कर प्रतापगढ़ के लिए किसी साधन का इंतजार कर रहा था।
उसी बीच पुलिस की टीम ने उसे देखा और सहारा दिया। संकट की इस घड़ी में इसे राम-रहीम की दोस्ती कहें या कुछ और, लेकिन सही मायने में दोस्ती की मिशाल कायम की है दोस्त हुसैन ने।


रिपोर्ट @ आफाक अहमद मंसूरी