कोरोना के चलते घंटाघर की महिलाओ ने देशहित में, आंदोलन को सांकेतिक आंदोलन बनाया
महिलाओं की संख्या 50 से ज्यादा नहीं होगी और वे सभी महिलाएं मास्क पहनकर एक दूसरे से उचित दूरी बना कर बैठेंगी..
लखनऊ, 21 मार्च 2020, लखनऊ के ऐतिहासिक घंटाघर पर नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करती महिलाओं को दो महीने से ज्यादा हो गए उनका प्रदर्शन जारी है, बहुत से पड़ाव से गुजरती हुई चाहे वो प्रशासन का प्रदर्शन रोकने का दबाव हो या फिर बरसात का बरसता हुआ पानी, चाहे खुले आसमान में कपकपाती ठंड हो या फिर पुलिस की सख्ती हो हर तरह के पड़ाव को पार करती हुई सरकार से अपनी मांगो को लेकर डटकर अपनी आवाज बुलंद करते हुए संघर्ष कर रही हैं लेकिन अब उन संघर्षशील महिलाओं के सामने एक ऐसी घडी आ गई है जहां पर ज्यादा संख्या में एक साथ महिलाओं का प्रदर्शन करना उनके लिए खतरा बन गया है यानी कोरोना वायरस के इस पड़ाव से गुजरने की घड़ी में देखना होगा कि महिलाएं कोरोना से अपने आपको कैसे सुरक्षित रखती है। घंटाघर में प्रदर्शनकारी महिलाओं ने बताया ।
कोरोना वायरस के प्रकोप से जिसने विश्व को अपनी गिरफ्त में ले लिया भली-भांति अवगत हैं, साथ ही इससे बचाव के नियमों से भी जिसका पालन बखूबी कर रहें हैं..
हम महिलाएं कोरोना वायरस के प्रकोप से जिसने विश्व को अपनी गिरफ्त में ले लिया है भली-भांति अवगत हैं, इससे बचाव के नियमों से भी न केवल परिचित है बल्कि इनका पालन भी कर रहे हैं। परिस्थितियों के अनुसार हम अपने आंदोलन को सांकेतिक आंदोलन में परिवर्तित करना चाहते थे।
अगर सरकार कोरोना को लेकर वाक़ई गंभीर है तो गैरसंवैधानिक कानून सीएए को फौरन वापस ले..
लेकिन जब-जब हमने महिलाओं की संख्या को कम किया और कोरोना वायरस से बचाव के लिए कदम बढ़ाया, तब-तब हम पर बर्बरता दिखाई, जिसका नतीजा ये हुआ कि इस बात की खबर आम होते ही महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई। अगर सरकार कोरोना को लेकर वाक़ई गंभीर है तो गैरसंवैधानिक कानून सीएए को फौरन वापस ले। एनपीआर ना कराने का लिखित तौर पर आश्वासन दे। एनआरसी कभी नहीं किया जाएगा इसको भी लिखित में दे। संविधान सेनानियों पर जितने भी मुक़दमे हुए हैं उनको भी तत्काल प्रभाव से वापस ले। वरना हम समझेंगे कि सरकार को देश भर के शाहीन बाग़ में प्रर्दशन कर रही, आंदोलनकारी महिलाओं से कोर्इ हमदर्दी नहीं है। कोरोना की आड़ में किसी भी तरह से प्रदर्शन को खत्म कराना चाहती है, जिसके लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रही है।
महिलाओं की संख्या 50 से ज्यादा नहीं होगी और वे सभी महिलाएं मास्क पहनकर एक दूसरे से उचित दूरी बना कर बैठेंगी..
हम देश हित में अपने आंदोलन को (जब तक कोरोना वायरस का प्रकोप जारी है) एक सांकेतिक आंदोलन बनाना चाहते हैं, जिसमें महिलाओं की संख्या 50 से ज्यादा नहीं होगी और वे सभी महिलाएं मास्क पहनकर एक दूसरे से उचित दूरी बना कर बैठेंगी। वो कोई नारेबाजी नहीं करेंगी बल्कि उनके हाथों में प्ले कार्ड होंगे जिस पर उनके मन की बात लिखी होगी।
महिलाओ ने ऊपर वाले से प्रार्थना की, हमें और हमारे देश को इस भयंकर आपदा से सुरक्षित रखें..
हम पत्रकार बंधुओं व प्रशासन को अवगत कराना चाहते हैं कि हमारे द्वारा लिए गए सांकेतिक आंदोलन के निर्णय को कमजोरी समझ कर हम पर कोई बर्बरता की कोशिश न की जाए। यदि इन महिलाओं पर प्रशासन द्वारा दमन किया गया तो दूसरी प्रदर्शनकारी महिलाएं इनकी सहायता के लिए प्रदर्शन स्थल पर आने को मजबूर होंगी, जिससे कोरोना से बचाव के लिए उठाए गए हमारे प्रयास विफल हो जाएंगे। इसलिए इस सांकेतिक आंदोलन को चलने देना देश हित के लिए आवश्यक है। हम सभी संघर्षशील महिलाएं ऊपर वाले से ये प्रार्थना करती हैं के ईश्वर (अल्लाह) हमें और हमारे देश को इस भयंकर आपदा से सुरक्षित रखें।
रिपोर्ट @ आफाक अहमद मंसूरी