चौराहे-चौराहे होर्डिंग लगाकर लोकतांत्रिक आवाजों को नहीं दबाया जा सकता-रिहाई मंच


चौराहे-चौराहे होर्डिंग लगाकर लोकतांत्रिक आवाजों को नहीं दबाया जा सकता-रिहाई मंच



जिस तरह से उनके फोटो की होर्डिंग्स लगाई जा रही हैं उससे उसका मकसद उनकी प्रतिष्ठा को दाग़दार करना और डराना है..


लखनऊ,  6 मार्च 2020 नागरिकता कानून सीएए का विरोध करने वाले 57 लोगों के फोटो वाली होर्डिंग्स लखनऊ प्रशासन द्वारा लगवाई गई है। उन पर 19 दिसम्बर को सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा और तोड़फोड़ के आरोप हैं जिनसे सरकार अब वसूली करेगी।
सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रिहाई मंच अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब एडवोकेट ने कहा कि सरकार का यह कदम नियम कानून की खुली अवहेलना है। प्रशासन ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाते हुए वसूली नोटिस भेजी है और सम्पत्ति जब्त करने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि वास्तव में सरकार विरोध के स्वर का दमन करना चाहती है और लखनऊ प्रशासन नियम कानून ताक पर रखकर सरकार की मंशा पूरी कर रहा है। इस तरह से होर्डिंग्स लगाकर सरकार भय का माहौल बनाना चाहती है ताकि लोग डरकर संविधान विरोधी नागरिकता कानून के खिलाफ आवाज़ उठाना बंद कर दें। उन्होंने साफ कहा कि ऐसा नहीं होने वाला है और इस काले कानून के खिलाफ आवाज़ और मज़बूती से बुलंद की जाती रहेगी।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि योगी सरकार लगातार विरोध प्रदर्शनों के दमन के लिए नए-नए हथकंडे अपना रही है। पहले उत्तर प्रदेश में होने वाले ने वाले विरोध प्रदर्शनों का पुलिसिया दमन किया गया और झूठे मुकदमें कायम किए गए। यह सिलसिला अब भी जारी है। लखनऊ में ही घंटाघर पर महिलाओं के प्रदर्शन को खत्म करने के प्रयास में पुलिस प्रशासन ने कई बार धरना स्थल पर अभद्रता की है और फर्जी मुकदमे कायम कर महिलाओं और पुरूषों को गिरफ्तार करती रही है। उन्होंने कहा कि अब जिस तरह से प्रतिष्ठित वकील, सामाजिक व मानवाधिकार नेताओं, रंग कर्मियों पर सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकासन पहुंचाने का मुआवज़ा वसूल करने के लिए चौराहे पर उनके फोटो की होर्डिंग्स लगाई जा रही हैं उससे उसका मकसद उनकी प्रतिष्ठा को दाग़दार करना और डराना है। उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून की पूरी लड़ाई इसी बात को लेकर है कि लोकतंत्र में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री हो जाने का मतलब राजा हो जाना नहीं होता कि वह कुछ भी कर सकता है। उन्होंने कहा लोकतंत्र में शासन संविधान और कानून से चलता है न कि किसी की व्यक्तिगत इच्छा से। जब तक सरकार और प्रशासन संविधान की मर्यादा के विपरीत जाकर काम करते रहेंगे इस तरह के आंदोलन होते रहेंगे।


रिपोर्ट @ आफाक अहमद मंसूरी