उजरियांव धरने पर बैठी महिलाओं ने अपनी हिम्मत, जज्बे और हौसले के साथ पूरा किया एक महीना


उजरियांव धरने पर बैठी महिलाओं ने अपनी हिम्मत, जज्बे और हौसले के साथ पूरा किया एक महीना



महिलाओं ने इस नारे के साथ आंदोलन जारी रखा 'मरना ही मुकद्दर है तो फिर लड़ के मरेंगे'



 


लखनऊ । राजधानी लखनऊ के उजरियांव,गोमतीनगर पर नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के एक महीना पूरा होने पर प्रदेश के अलग अलग क्षेत्रों से लोगों ने महिलाओं का किया समर्थन, साथ ही दिन-भर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, धरने में सांस्कृतिक कार्यक्रम और चर्चित वक्ता भी शामिल हुए आंदोलनकारी महिलाओं ने कहा कि हम संविधान और देश बचाने के लिए धरना दे रहे है और जब तक संविधान विरोधी कानून को वापस नहीं ले लिया जाता तब तक हम धरना देते रहेंगे और हम लोग संविधान के दायरे में शांतिपूर्ण तरीके अपना विरोध दर्ज कर रहे है और अब इस पर हम लोग पीछे नहीं हटेंगे और अप्रैल में शुरू हो रहे एनपीआर का हम विरोध करेंगे और जरूरत पड़ी तो जेल भरो आंदोलन से लेकर असहयोग आंदोलन करेंगे। धरने में सांस्कृतिक कार्यक्रम में संगीत, कला, मुशायरा हुआ और चर्चित वक्ता गण में अपनी बात रखी जिसमें लेखिका फरजाना मेहंदी, अधिवक्ता कलीम,अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के नबील उस्मानी, महंत बी पी दास, अधिवक्ता रणधीर एस सुमन, समाज सेविका सादिया, अज़रा, इरम, जेएनयू पूर्व छात्र अध्यक्ष एन एस बालाजी आदि शामिल रहें, आंदोलन के एक माह पूरे होने पर अब नया नारा दिया गया, "महिलाओं संघर्ष के एक माह, आओ संघर्ष के साथ चले" इसके अलावा पूरे दिन ये नारे उजरियांव धरने पर गूंजते रहें, ये देश हमारा आपका नहीं किसी के बाप का.. उजरियांव से उठी आवाज, नहीं चलेगा गुण्डाराज.. गांधी के वास्ते अम्बेडकर के रास्ते..दादा लड़े थे गोरों से..हम लड़ेंगे चोरों से.. मरना ही मुक्कदर है तो फिर लड़ के मरेंगे, खामोशी से मर जाना मुनासिब नहीं होगा.. ये जंग जीतेंगे अबकी बार, ये एलान हमारा है..उजरियांव ने ललकारा है कागज नहीं दिखाना है इनके साथ विरोध प्रदर्शन जारी रहा ।


रिपोर्ट @ आफाक अहमद मंसूरी