दिल्‍ली हिंसा में मारे गए कॉन्‍सटेबल रतन को मिला शहीद का दर्जा, परिवार को 2 करोड़ रुपए का मुआवजा


 


दिल्‍ली हिंसा में मारे गए कॉन्‍सटेबल रतन को मिला शहीद का दर्जा, परिवार को 2 करोड़ रुपए का मुआवजा।


नई दिल्‍ली। दिल्ली में हुई हिंसा का शिकार हुए हेड कांस्टेबल रतनलाल का बुधवार को उनके पैतृक गांव सीकर के तिहावली में अंतिम संस्कार कर दिया गया। रतनलाल के सात वर्ष के बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनके परिजन और ग्रामीण रतनलाल को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर सुबह से ही हाइवे रोक कर बैठे थे। अब रतन लाल को शहीद का दर्ज दे दिया गया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल को कानून व्यवस्था बनाए रखते हुए अपनी जान गंवानी पड़ी। उन्हें शहीद का सम्मान दिया गया है और उनके परिवार को एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे। हम उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी प्रदान करेंगे।
आपको बता दें कि सोमवार शाम को दिल्ली पुलिस में तैनात हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की भजनपुरा इलाके उपद्रवियों ने गोली व पत्थर मारकर हत्या कर दी थी। पहले यह बताया गया था कि सिर पर पत्थर लगने से उनकी मौत हुई है, लेकिन मंगलवार को ऑटोप्सी रिपोर्ट सामने आई। इसमें खुलासा से हुआ कि रतन लाल को कंधे पर गोली लगी थी और इसी से उनकी जान गई। वे बुखार होने के बाद भी ड्यूटी कर रहे थे। रतन लाल राजस्थान के सीकर के रहने वाले थे।
केजरीवाल ने भी किया 1 करोड़ रुपए के मुआवजे का ऐलान
दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुझे खुश है कि केंद्र सरकार रतन लाल के परिवार को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा दे रही है और एक परिवार के सदस्य को नौकरी भी देगी। हम भी दिल्ली सरकार की पॉलिसी के अनुसार उनके परिवार को 1 करोड़ रुपये की मदद देंगे।
टकराव शनिवार को हुआ, रविवार को पहली बार हिंसा भड़की
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में टकराव की शुरुआत शनिवार शाम को हुई थी, जब जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे की सड़क पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जुटने लगे। इनमें ज्यादातर महिलाएं थीं। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि शाहीन बाग की तरह हम यहां से भी नहीं हटने वाले। लेकिन पुलिस वहां से तिरपाल और तख्त उठाकर ले गई थी। पूर्वी दिल्ली के मौजपुर में भी प्रदर्शनकारियों ने एक सड़क बंद कर रखी थी। रविवार को यहां पहली बार हिंसा भड़की। विवाद तब शुरू हुआ, जब भाजपा नेता कपिल मिश्रा अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे और सड़क खुलवाने की मांग काे लेकर सड़क पर बैठकर हनुमान चालीसा पढ़ने लगे।


 


रिपोर्ट@त्रिलोकी नाथ