9400 शत्रु संपत्तियां बेचने की तैयारी में मोदी सरकार, एक लाख करोड़ का मिलेगा राजस्व।
नई दिल्ली
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाला मंत्री समूह 9,400 से अधिक शत्रु संपत्तियों के निपटारे की निगरानी करेगा। इससे करीब एक लाख करोड़ रुपये का राजस्व आने की संभावना है। आधिकारिक आदेश के अनुसार, शत्रु संपत्ति कानून के तहत भारत के शत्रु संपत्ति संरक्षक विभाग के अंतर्गत आने वाली अचल शत्रु संपत्तियों के निस्तारण के लिए दो अन्य उच्चस्तरीय समितियां भी गठित की जाएंगी। एक समिति का नेतृत्व मंत्रिमंडल सचिव राजीव गौबा और अन्य की सह-अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला करेंगे।
आदेश में कहा गया है कि शत्रु संपत्तियों के निपटारे के लिए अंतर-मंत्रालयी समूह गठित किया जाएगा और इसकी सह-अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव और निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव करेंगे।
गृह मंत्रालय, आर्थिक मामलों के विभाग, व्यय विभाग, सार्वजनिक उपक्रम विभाग, विधि विभाग, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधि अंतर-मंत्रालयी समूह के सदस्य होंगे।
आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव, राजस्व विभाग के सचिव, व्यय विभाग के सचिव, सार्वजनिक उपक्रम विभाग के सचिव, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के सचिव, विधि विभाग के सचिव, शहरी विकास सचिव, केंद्रीय गृह सचिव और निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव और मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में परिसंपत्तियों को बेचने पर सचिवों के कोर समूह का गठन किया जाएगा। आदेश में कहा गया है कि केंद्र सरकार गृह मंत्री शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के तहत वैकल्पिक तंत्र का गठन कर सकती है।
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा संपत्तियां
पाकिस्तान के नागरिकों की सबसे ज्यादा 4,991 संपत्तियां उत्तर प्रदेश में हैं। इसके बाद 2,735 संपत्तियां पश्चिम बंगाल और इसके बाद 487 दिल्ली में हैं। वहीं, चीनी नागरिकों द्वारा छोड़ी गई सबसे ज्यादा संपत्तियां मेघालय में हैं जिनकी संख्या 57 है। इनके अलावा 29 पश्चिम बंगाल और असम में सात हैं।
क्या होती है शत्रु संपत्ति बंटवारे के दौरान देश छोड़ कर गए लोगों की संपत्ति सहित, 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद भारत सरकार ने इन देशों के नागरिकों की संपत्तियों को सीज कर दिया था। इन्हीं संपत्तियों को शत्रु संपत्ति करार दिया गया है। भारत में पाकिस्तान के नागरिकों की 9,280 संपत्तियां और चीन के नागरिकों की 126 संपत्तियां हैं।
इन संपत्तियों में भूमि, मकान, फार्म, शेयर, बैंक बैलेंस, प्रोविडेंट फंड समेत कई अचल और चल चीजें शामिल हैं। फिलहाल इन संपत्तियों की देखरेख की जिम्मेदारी कस्टोडियन ऑफ एनमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया के पास है। युद्ध के दौर में चीन और पाक छोड़ने वाले भारतीयों की संपत्ति की सुरक्षा करने में असफल रहने के बाद भारत सरकार ने यह कदम उठाया था।
एक लाख करोड़ की है शत्रु संपत्ति, भरेगा सरकारी खजाना
बता दें कि 2018 में केंद्र सरकार ने शत्रु संपत्तियों को बेचने की कवायद भी शुरू कर दी थी। इसके तहत सरकार ने अपने खजाने में तकरीबन एक लाख करोड़ रुपए की वृद्धि करने का लक्ष्य रखा गया है। केंद्र सरकार ने मुख्य संरक्षण कार्यालय यानी कस्टोडियन को इस साल जून-जुलाई तक तमाम शत्रु संपत्तियों की सूची देने का आदेश दिया है।
वंशज प्रॉपर्टी पर नहीं कर सकते हैं दावा
शत्रु संपत्ति पर नियंत्रण रखने और देख-रेख के लिए गृह मंत्रालय ने आदेश भी दिया है। मंत्रालय के आदेश के बाद जिन जिलों और राज्यों में शत्रु प्रॉपर्टी हैं उनके मूल्यांकन समितियां भी गठित की गई हैं जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारियों के हाथ में है। यह फैसला शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं वैधीकरण) अधिनियम 2017 और शत्रु संपत्ति (संशोधन) नियम 2018 में संशोधन के बाद उठाया गया है। पिछले साल लोकसभा में उक्त विधेयक में संशोधन के बाद यह प्रावधान किया गया है कि भारत विभाजन के समय पाकिस्तान या चीन चले गए लोगों के वंशज भारत में अपने पुरखों की संपत्तियों पर कोई दावा या फिर दलील नहीं कर सकते हैं।
किस राज्य में कितनी शत्रु संपत्तियां बता दें कि विभाजन के दौरान उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से सबसे अधिक लोगों ने पलायन किया है। पाकिस्तान गए लोगों से संबंधित 9,281 शत्रु संपत्तियों में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 4,991 संपत्तियां हैं। वहीं पश्चिम बंगाल में 2,735 और दिल्ली में 487 संपत्तियां हैं। चीन गए लोगों से जुड़े 126 शत्रु संपत्तियों में मेघालय में 57 और पश्चिम बंगाल में 29 संपत्तियां हैं।
आंध्र प्रदेश: पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 159 जिसकी कुल कीमत-11,641 करोड़ है।
असम: पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 6 ,चीनी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 64 कीमत 41.26 करोड़ है।
बिहार: पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 79, कीमत 101 करोड़,
छत्तीसगढ़: पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 78 है और इसकी कीमत 54.6 करोड़ है।
दिल्ली: पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 487 ,चीनी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 02 इसकी कीमत 816 करोड़ रुपये है।
गोवा: पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 263 इसकी कीमत 100 करोड़ रुपये है।
गुजरात: पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 146 कीमत 844 करोड़ आंकी गई है।
हरियाणा: पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 09 इसकी कीमत 791 करोड़ है
कर्नाटक: पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 20 ,जबकि चीनी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 01 कीमत 151 करोड़ है।
केरल: पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 60, कीमत 1375 करोड़ है।
मध्यप्रदेश: पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 88, चीनी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 01 कीमत- 1796 रुपये है
महाराष्ट्र: पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 48, कीमत- 571 करोड़ है
राजस्थान: पाकिस्तानी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 22 ,चीनी नागरिकों की प्रॉपर्टी: 01 कीमत 23 करोड़ है।
शत्रु संपत्तियों से जुड़ा है ताशकंद समझौता जितनी शत्रु संपत्ति भारत में है उतनी ही संपत्ति पाकिस्तान में भी भारतीयों की है। इन संपत्तियों के विवाद को देखते हुए भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में हुए युद्ध के बाद ताशकंद समझौते में इस बात पर सहमति बनी थी कि दोनों देश विवाद के दौरान जब्त की संपत्तियों और एसेट्स को वापस लौटाएंगे।
बता दें कि पाकिस्तान सरकार ने इस समझौते पर अमल न करते हुए करीब 47 साल पहले ही यानी 1971 में भारतीय नागरिकों और कंपनियों से संबंधित संपत्तियों को बेच दिया। दूसरी तरफ भारत में यह संपत्तियां अब भी कस्टोडियन ऑफ एनमी प्रॉपर्टी के नियंत्रण में है।
त्रिलोकी नाथ की रिपोर्ट