फूलझाड़ू के बीज से कैसे बनाया जाता था जीरा


 


फूलझाड़ू के बीज से कैसे बनाया जाता था जीरा


पुलिस ने रायबरेली में छापेमारी कर 800 क्विंटल नकली जीरा बरामद किया है। पुलिस ने इस बारे में और भी खुलासे किए हैं।


 रायबरेली (ब्यूरों) 



नकली जीरा बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। पुलिस ने कई छापे मारकर 800 क्विंटल नकली जीरा बरामद किया है। मुखबिर की सुचना पर पुलिस ने महाराजगंज में छापेमारी की और नकली जीरा बरामद कर लिया। इस जीरे की कीमत करोड़ों रुपयों की बताई जा रही है। गिरोह का मास्टर माइंड एमबीए डिग्री धारक शख्स बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि ये शख्स स्थानीय भाजपा नेता व कारोबारी भी इस गोरख धंधे के हिस्सेदार हैं। पुलिस ने मामले में बीजेपी नेता समेत 9 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है जबकि एक को गिरफ्तार भी किया गया है।दरअसल, शनिवार देर शाम को मुखबिर की खास की सूचना पर महराजगंज पुलिस ने भाजपा नेता के बेटे अमित प्रकाश वर्मा उर्फ रज्जन वर्मा की रामा इंडस्ट्रीज और एमबीए डिग्री धारक व ग्रेटर नोएडा में बड़ी कंपनी में काम छोड़ नकली जीरा व्यापार मे शामिल हुए सत्येंद्र केसरवानी के गोदाम सहित, कमलेश मौर्या उर्फ लल्ला , प्रशांत साहू, फूलचंद साहू, राजेंद्र प्रसाद बारी उर्फ बाबू, पंकज ठठेर, इंद्रजीत, पवन गुप्ता के गोदामों और घरों में छापेमारी की थी। इतनी बड़ी मात्रा में नकली जीरा मिलने से पुलिस भी हैरान है।कहां से आता है नकली जीरा?
नईया नाला के आसपास या फिर बड़ी नहरों के किनारे तराई क्षेत्र में एक विशेष प्रकार की पौध की उपज होती है जिसे खस कहते हैं। देहात क्षेत्र में इसे गाड़र बोलते हैं। इस पौधे की जड़ का अर्क निकालकर इत्र बनाया जाता है और इस जड़ से अर्क निकालने के बाद यही जड़ गर्मी के मौसम में खस के रूप में कूलर आदि में प्रयोग की जाती है। इसी पौधे के के बढ़ने पर इससे विशेष प्रकार की सींक निकलती है जिसे देहात क्षेत्र में फूल झाड़ू बोलते हैं।इसी सींक में एक विशेष प्रकार के फूल निकलते हैं जो परिपक्वता होने पर जीरे के आकार के होते हैं। नदी के किनारे बसे हुए गांवों के आस पास के क्षेत्र में खस (गाड़र) के पौधे बहुतायत में पाए जाते हैं जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में यह रोजगार का प्रमुख जरिया बना हुआ है। इस पौधे के विषय में क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया कि सर्दियों के मौसम में अक्टूबर से मार्च तक ही इस पौधे से खस और फूल झाड़ू तथा जीरे के आकार का बीज निकलता है। सर्दियों में ग्रामीण महिलाएं खस के सींक निकालती हैं इसी सींक से जीरे के आकार का बीज निकालती हैं और सींक को 70-80 रुपए/किलो में बेचती है और इससे निकला जीरे के आकार का बीज 10-15 रुपए/किलो में स्थानीय व्यापारियों को बेचती हैं। पुरुष इन्ही पौधों को जड़ सहित निकालकर जड़ स्थानीय व्यापारियों को 25-30 रुपए/किलो बेचते हैं।
ऐसे बनता है नकली जीरा
फूल झाड़ू के बीज जो जीरा से थोड़ा पतला होता है को गुड़ का शीरा और संगमरमर के पत्थर का पाउडर मिलाकर इसे मशीन से तैयार किया जाता है। उसके बाद जब यह जीरे जैसा हो जाता है तो इसे दिल्ली एनसीआर व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े व्यापारियों को सप्लाई किया जाता है।


मनीष श्रीवास्तव रायबरेली सवांददाता