मोदी सरकार एक और साहसिक कदम, 'CAB' को कैबिनेट की मंजूरी, सरकार बता रही 370 जैसा


 


मोदी सरकार एक और साहसिक कदम, 'CAB' को कैबिनेट की मंजूरी, सरकार बता रही 370 जैसा।


कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद मोदी सरकार अब एक और ऐसा ही साहसिक कदम उठाने जा रही है। सरकार एसपीजी बिल के बाद अब संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करने जा रही है। बुधवार को हुए कैबिनेट बैठक में विधेयक को मंजूरी मिल गई है। इस विधेयक को लेकर सदन में हंगामा हो सकता है क्योंकि विपक्ष लगातार इसका विरोध करता आ रहा है। अगले सप्ताह इसे सदन में पेश किया जा सकता है।
बता दें कि इस बिल में पड़ोसी मुल्कों बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से शरण के लिए आने वाले हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। बिल का विरोध कर रहे विपक्षी दलों ने इसे संविधान की भावना के विपरीत बताते हुए कहा है कि नागरिकों के बीच उनकी आस्था के आधार पर भेद नहीं किया जाना चाहिए।
पड़ोसी इस्लामिक देशों के अल्पसंख्यक अकसर भारत में शरण के लिए आते रहे हैं। राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि पड़ोसी देशों से आने वाले 6 धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को शरण देना मोदी सरकार की सर्व धर्म समभाव की नीति का परिचायक है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, समाजवादी पार्टी और लेफ्ट जैसे दल इस बिल का तीखा विरोध कर रहे हैं और बीजेडी ने भी कुछ ऐतराज जताए हैं। इसके बाद भी बीजेपी के पास लोकसभा में इस बिल को पारित कराने के लिए पर्याप्त संख्या है। यही नहीं राज्यसभा में भी अकाली दल और जेडीयू जैसे सहयोगियों का उसे साथ मिल सकता है।
गौर हो कि नागरिक संशोधन विधेयक के तहत 1955 के सिटिजनशिप ऐक्ट में बदलाव का प्रस्ताव है। इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर भारत में बसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रस्ताव है। इन समुदायों के उन लोगों को नागरिकता दी जाएगी, जो बीते एक साल से लेकर 6 साल तक में भारत आकर बसे हैं। फिलहाल भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए यह अवधि 11 साल की है।
इस बीच असम और त्रिपुरा समेत पूर्वोत्तर राज्यों में इस बिल के विरोध को रोकने के लिए भी सरकार कुछ उपायों पर विचार कर रही है। पूर्वोत्तर राज्यों में यह कह कर इस बिल का विरोध किया जा रहा है कि इससे मूल निवासियों की संख्या में कमी आएगी और आबादी का संतुलन बिगड़ेगा। इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नगालैंड में इनर लाइन परमिट बरकरार रखने और असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में भी पुराने नियमों के तहत मूल निवासियों के संरक्षण का भरोसा दिया है।


त्रिलोकी नाथ 
   रायबरेली