बात उच्च शिक्षा, अच्छे स्वास्थ्य व अधिकारों की होनी चाहिए न कि मानवधिकारों के हनन की


 


आगरा। बात इनके अधिकारों की होनी चाहिए न कि विचारधारा के नाम पर छात्रों पर हमला करने और उनके अधिकारों का हनन करने की। बुद्धिजीवियों एवं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का दर्जा प्राप्त मीडिया को आम जनता के हित में जनप्रतिनिधियों से सवाल जवाब करना चाहिए कि विकासवादियों की सरकार में कितना विकास हो सका इन लोगों का ?


ये अदभुत नजारा है एमजी रोड स्थित थाना हरीपर्वत के पास का। जहाँ नेकी की दीवार नामक एक स्थान है। इस शहर के लोग कितने दानवीर हैं ये मुझे बताने की जरूरत नहीं, क्योंकि तश्वीरें बोलती हैं। नेकी के नाम पर गंदगी फैला रखी है, वो भी उस जगह जहाँ प्रतिष्ठित अधिकारी कार्यरत हैं। आगरा नगर निगम और सरकारी मशीनरी हर साल करोड़ों रुपये विज्ञापन में खर्च कर देता है, लेकिन जमीनी स्तर पर कितने कार्य करते हैं ये इन कपड़ों की कतरनों से पता लग रहा है। 40 हजार रुपये महीने की तनख्वाह उठाने वाले सरकारी मुलाजिम जनता को गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।


अब बेरोजगारी, प्राइवेट सेक्टर में हो रहीं छटनियाँ, गिरती अर्थव्यवस्था, खराब सड़कें, स्ट्रीट लाइट, सफाई व्यवस्था, दूध की बढ़ती कीमतें, अवैध वसूली, बढ़ते अपराध, बलात्कार की घटनाओं में इजाफा, छात्रों पर हमले सहित आदि कई सामाजिक मुद्दे जमीनी स्तर से गायब नजर आ रहे हैं।


लिखकर ले लो मुझसे कि विचारधारा के नाम पर परिवर्तन की ये सोच आने वाले कई सालों बाद भी अधिकारों से वंचित तथा राजनीतिक अवहेलना से ग्रस्त लोगों को इसी तरह से दूसरों की फेंकी हुई उतरनों को बीनकर अपना जीवन यापन करने पर मजबूर होना पड़ेगा।


क्या इसी प्रकार से नेकी की जाती है.?


नितिन शुक्ला आगरा सवांददाता की रिपोर्ट