कोरोना लॉकडाउन–ईद पर खुशियां तो होंगी पर पहली बार अपनों से गले नहीं मिल सकेंगे लोग


-हर साल ईद के मौके पर परवान चढ़ने वाले कई रिवाज इस बार के त्योहार का हिस्सा नहीं होंगे–



-खुशियां तो होंगी लेकिन गले मिलकर उन्हें बांट नहीं सकेंगे, ईदगाह तो अपनी जगह लेकिन वहां ईद की नमाज नहीं, न मेला लगेगा न नए कपड़े होंगे, न ही ईद मिलन की रस्म होगी–


-ईद का दिन बच्चों के लिए सबसे खुशी का दिन होता है, घर में जो भी आता है बच्चों को ईदी के तौर पर पैसे देते हैं, लेकिन इस बार बच्चे उदास होंगे–


लखनऊ, 24 मई 2020, ये ईद का त्योहार है, खुशियों का है त्योहार, ना मेरा है ना तेरा है, ये सबका है त्योहार, मुबारक ईद मुबारक सभी को ईद मुबारक... ये तराना ईद के दिन की खुशियों को दर्शाती है, हर साल इसी  तरह हम सब लोग मिलजुल कर ईद मानते थे, लेकिन इस बार इतिहास में शायद पहली बार ईद कुछ अलग अंदाज में मनेगी। 


कोरोना संक्रमण के डर के साये में रवायतों से लेकर खुशी के इजहार के तौर-तरीके बदले-बदले से होंगे। हर साल ईद के मौके पर परवान चढ़ने वाले कई रिवाज इस बार के त्योहार का हिस्सा नहीं होंगे। खुशियां तो होंगी लेकिन गले मिलकर उन्हें बांट नहीं सकेंगे। चांद रात भी होगी, लेकिन बाजारों में रौनक नहीं। ईदगाह तो अपनी जगह होंगे, लेकिन वहां ईद की नमाज नहीं। न मेला लगेगा, न नए कपड़े होंगे, न ही ईद मिलन की रस्म होगी। गलियां सूनी होंगी, उनमें सजावटी चांद सितारे नहीं दिखेंगे। इस बार की ईद कुछ ऐसी ही मनेगी।


बाजारों में नहीं दिखेगी चांद रात की रौनक..


चांद रात पर लखनऊ का ईद बाजार पूरी रात गुलजार रहता है। नक्खास, अमीनाबाद, हजरतगंज समेत कई बाजारों में रात भर भीड़ होती थी। सेवईं, नए कपड़े, सजावटी सामान लेने के लिए लोगों को हुजूम उमड़ता है। मेन रोड में पैर रखने तक की जगह नहीं होती है। पुलिस को बैरिकेडिंग कर पूरी सड़क को बंद करना पड़ता है, ताकि  लोग भीड़ में कोई गाड़ी न घुसे और लोग पैदल चलकर खरीदारी कर सके।लेकिन इस बार लॉक डाउन की वजह से सभी बाज़ार बन्द है।


मायके नहीं जा सकेगी बेटियां.. 


लॉकडाउन की वजह से लोग ईद पर अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के घर नहीं जा पाएंगे। वहीं ससुराल में रह रही बेटियां भी अपने मायके नहीं जा सकेगी। सदर में रहने वाली नबिया खान बताती हैं कि शादी के बाद हर बार ईद में अपने घर कानपुर जाती थी, लेकिन इस बार अपने मायके नहीं जा सकूं गीं। यही हाल राजधानी की हर मुस्लिम महिला का है जो ईद में अपने मायके ईदी मिलने जाती थी, वो इस बार नहीं जा सकेंगी।


बच्चों में दिख रही उदासी..


ईद का दिन बच्चों के लिए सबसे खुशी का दिन होता है। ईद में घर में जो भी आता है बच्चों को ईदी के तौर पर पैसे देते हैं। लेकिन इस बार बच्चे उदास होंगे। ईद में ना मेला लगेगा और ना कोई  घर आ सकेगा। ऐसे में बच्चो को ईदी भी नहीं मिल सकेगी और वो मेले घूमने भी नहीं जा सकेंगे। सरोजनीनगर के दस साल के अरमान ने बताया कि हर बार घर में कई मेहमान आते थे, बहुत सारे पैसे मिलते थे, लेकिन इस बार तो न कोई आएगा ना मै कहीं जा सकुंगा, इस बार तो ऐसे ही ईद मनेगी।


ईदगाह और मस्जिदों में नहीं होगी नमाज..


ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि ईद की हर बार ईद की नमाज ईदगाह में अदा की जाती थी, बड़ी तादाद में एक साथ लोग नमाज अदा करने पहुंचते थे। अलावा मस्जिदों में भी नमाजियों का हुजूम रहता था।लेकिन कोरोना संक्रमण फैलने के डर से पहले से ही मस्जिदों में सामूहिक नमाज पर रोक है। ऐसे में इस बार ईद की नमाज न ईदगाह और न मस्जिद में अदा होगी। लॉक डाउन का पालन करें और घर में ईद की नमाज़ अदा करें।


रिपोर्ट @ आफाक अहमद मंसूरी