बदल गया शव, मुस्लिम व्यक्ति का हिंदू परिवार ने कर दिया दाह संस्कार


-ताज नगरी आगरा में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां पर स्वास्थ्य विभाग और पोस्टमार्टम गृह के कर्मचारियों की बड़ी चूक के कारण शव ही बदल गया..



-एसएन मेडिकल कॉलेज ने शोएब के पिता का शव मनोज नाम के एक व्यक्ति को दे दिया, इस परिवार ने हिंदू रीति के अनुसार शव का दाह संस्कार भी कर दिया..


-अब सवाल ये उठता है कि आखिर बिना चेहरा दिखाए शव परिवार को कैसे सौंप दिया, जबकि जिला स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा परिजनों को शव की पहचान कराकर उनके हवाले करना चाहिए..


लखनऊउत्तर प्रदेश, आगरा, 12 मई 2020, आगरा में एक बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है, आगरा स्वास्थ्य विभाग और पोस्टमार्टम गृह के कर्मचारियों की बड़ी चूक के कारण शव बदल गया, जिसके चलते एक हिंदू परिवार ने मुस्लिम व्यक्ति का दाह संस्कार कर दिया, इस मामले से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।
दरअसल आगरा के शोएब के पिता की 10 मई को कोरोना वायरस के कारण मौत हो गई. उन्हें सुपुर्द-ए-खाक करने के लिए कब्रिस्तान में कब्र भी खुदवा ली गई थी, लेकिन बाद में पता चला कि एसएन मेडिकल कॉलेज ने शोएब के पिता का शव मनोज नाम के एक व्यक्ति को दे दिया, यही नहीं, इस परिवार ने हिंदू रीति के अनुसार शव का दाह संस्कार भी कर दिया।


बड़ी लापरवाही की वजह से बदल गया शव..


अब ये मामला तूल पकड़ता जा रहा है आखिर बिना चेहरा दिखाए शव परिवार को कैसे सौंप दिया गया. इस मामले में जिला स्वास्थ्य अधिकारियों पर गंभीर आरोप लग रहे हैं, आखिर इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई कि शोएब के पिता का शव दूसरे परिवार तक पहुंच गया और उसका अंतिम संस्कार भी हो गया।


इस मामले में उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव एवं आगरा के नोडल अधिकारी आलोक कुमार ने कहा कि इस तरह की लापरवाही होना एक गंभीर बात है, ये मामला प्रमुख सचिव स्वास्थ्य शिक्षा रजनीश दुबे के संज्ञान में है और वह जांच करा रहे हैं। बता दे कि कोरोना के कहर के चलते पांच दिन पहले शोएब की मां की भी मौत हो गई थी, अब परिवार में सिर्फ शोएब और उसका छोटा भाई है।


-अब सवाल ये उठता है कि आखिर बिना चेहरा दिखाए शव परिवार को कैसे सौंप दिया गया, जबकि जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को शव देते वक्त परिजनों को शव की पहचान कराकर उनके हवाले करना चाहिए या फिर कोई ऐसा इंतजाम करना चाहिए कि ऐसे शव को जब पैक करे तो चेहरे पर रंगीन पन्नी के बजाए ट्रांसपैरेंट पन्नी का इस्तेमाल करें ताकि परिजन आरपार दिखने वाली पास्टिक के जरिए शव को चेहरे से ही पहचान लें।


रिपोर्ट @ आफाक अहमद मंसूरी