संविधान शिल्पी बोधिसत्व बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर का 129 वां जन्मदिन उनके अनुयायियों ने अपने घरों पर धूमधाम से मनाया ।

संविधान शिल्पी बोधिसत्व बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर का 129 वां जन्मदिन उनके अनुयायियों ने अपने घरों पर धूमधाम से मनाया ।


सामाजिक चिंतक


सुनील दत्त रायबरेली
     


संविधान शिल्पी बोधिसत्व बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर का 129 वां जन्मदिन उनके अनुयायियों ने अपने घरों पर धूमधाम से मनाया ।
           कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते समूचे देश में लॉक डाउन चल रहा है। देश के प्रधानमंत्री ने अंबेडकर जयंती पर 15 अप्रैल से 3 मई तक  एक बार फिर से दूसरे लॉक डाउन की घोषणा कर दी ।  लॉक डाउन के कारण अंबेडकर अनुयायियों  ने किसी भी अंबेडकर पार्क जाने के बजाय अपने घरों पर ही परिवार वालों के साथ अंबेडकर जयंती धूमधाम से मनाना उचित समझा और लॉक डाउन का पालन किया ।
      इस कड़ी में बौद्धिक एवं सामाजिक चिंतक सुनील ने भी अपने निवास स्थल  छजलापुर में अपने परिवार के साथ अंबेडकर जयंती मनाई । उन्होंने बताया कि बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू छावनी में हुआ था । उनकी माता का नाम भीमा बाई और पिता का नाम सूबेदार रामजी राव था । उनका विवाह रमाबाई  से हुआ था । वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ  विद्वानों में एक माने जाते हैं । उन्होंने सामाजिक परिवर्तन के लिए समता सैनिक दल , धार्मिक परिवर्तन के लिए बुद्धिष्ट सोसायटी आफ इंडिया, राजनैतिक परिवर्तन के लिए रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया एवं शैक्षिक परिवर्तन के लिए एजुकेशनल सोसाइटी आफ पीपुल की स्थापना किया । वे  जनता और मूक नायक समाचार पत्रों के माध्यम से वंचित समाज की आवाज बने।  
         उन्होंने  महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिलाया।  महिलाओं को प्रसूति का अवकाश दिलाया। कर्मचारियों और मजदूरों को रविवार का अवकाश दिलाया। उनकी ही संस्तुति पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना हुई । उनकी ही सिफारिशों से नदियों पर बांध बनाकर बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं की शुरुआत हुई । फैक्ट्रियों  में काम करने वाले कामगारों को 14 घंटे के काम से राहत मिली। उन्होने अशोक विजयदशमी 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में लाखों अनुयायियों के साथ धम्मचक्क पवत्तन किया।  संविधान की सात सदस्यीय प्रारूप समिति के अध्यक्ष  के रूप में देश को एक महत्वपूर्ण संविधान दिया।  देश और समाज की सेवा करते हुए दिल्ली में 6 दिसंबर 1956 को परिनिर्वाण को प्राप्त हुए। अंबेडकर के अनुयाई  आज उन्हें बोधिसत्व के रूप में  पूजते हैं।
         इसी प्रकार अंबेडकरनगर में धनीराम बौद्ध, समुझलाल धीमान, प्रमोद कुमार, जवाहर कॉलोनी में अनिल कुमार सरोज, डॉ. देवेंद्र भारती,  इंदिरा नगर में अशोक प्रियदर्शी, अनिल कांत , के.पी. राहुल , राजेन्द्र बौद्ध , त्रिपुला में  नीरज कुमार रावत, नरपतगंज में श्यामलाल मूलनिवासी , छतोह में अशोक सावंत, गौरा में बी.डी. गौतम, कृष्णा नगर में इंजीनियर वंश बहादुर यादव,  गोंदवारा में एडवोकेट शिवनारायण मौर्य, परशदेपुर में राज गौतम, सिद्धार्थ विहार में राकेश कुमार , बालापुर में छोटेलाल , रामप्रसाद बौद्ध, गोरा बाजार में डॉ संजय भारती , राही गांव में नरेंद्र कुमार, शैलेंद्र कुमार, अस्पताल कॉलोनी में रोहित कुमार चौधरी , राजेश कुरील आदि ने भी अपने घरों पर अंबेडकर जयंती मनाई।
           इस अवसर पर लोगों ने अपने घरों पर बुद्ध वंदना और भीम वंदना करने के साथ ही त्रिशरण और पंचशील भी ग्रहण  किया।


मनीष श्रीवास्तव