लॉकडाउन के बीच बिना भेदभाव जरूरत पूरी करते, लखनऊ के तमाम समाज सेवी, इनके जज्बे से लोगो को मिला हौसला



लॉकडाउन के बीच बिना भेदभाव जरूरत पूरी करते, लखनऊ के तमाम समाज सेवी, इनके जज्बे से लोगो को मिला हौसला



हमारी एकता, प्रेम भाइचारे, गंगा जमुनी तहज़ीब इंसानियत और देश प्रेम के जज़्बे के आगे हरेगा कोरोना वाॅयरस..



लखनऊ, 30 मार्च 2020,  कोरोना वाॅयरस की दहशत और इस वाॅयरस को रोकने और लड़ने के लिए सरकार द्वारा पूरे भारत में 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया गया ,जिसके चलते लोग अपने घरों में क़ैद हो गए और कोरोना की लड़ाई का समर्थन करते हुए इसके बचाव का पालन करने लगे। लेकिन शहर की बंदी से कोई काम ना होने पर रोज कमाने खाने वालो पर इसका गहरा असर हुआ। वहीं पुलिस प्रशासन और डॉक्टर को छोड़कर बाकी सभी सरकारी नौकरी करने वालो को घर बैठे तनख्वाह मिलने का प्रावधान है लेकिन वो लोग जो अपनी दुकान, दफ्तर, छोटा व्यापार बंद करके घर बैठे हैं उनका घर कैसे चलेगा। सिर्फ राशन, दवा, सब्जी के अलावा सभी कारोबार व दुकानें बंद है। ऐसी परिस्थिति में समस्याओं का सामना रोज कमाने वाले मध्यम वर्ग और ग़रीबों को करना पड़ रहा है।


छोटे मोटे कारोबार करने वालो के काम बंद होने से घरों का इंतज़ाम कर पाना ये एक बड़ी चुनौती..


 लॉकडाउन के बाद जहां छोटे मोटे कारोबार, करने वालो के काम बंद होने से ऐसे लोगो में घरों के खर्चों सहित राशन का इंतज़ाम कर पाना ये बहुत बड़ी चुनौती है।
ऐसे में सलाम उन इंसानों को जिन्होंने अपने परिवार के साथ साथ इनकी भूख प्यास तड़प और मजबूरी का ख्याल रखा और एक जुट होकर शहर के अलग अलग क्षेत्रों में सामाजिक संस्थाएं, समाज सेवियों, और आम इंसान ने जरूरतमंदो की मदद करने में अपना भरपूर योगदान दिया। अपने परिवार की तरह से पके हुए भोजन से लेकर कच्चे राशन, दवा का इंतेज़ाम करने लगे, कोरोना के बचाव का खास ख्याल रखते हुए एक मीटर की दूरी बनाए हुए खाने के पैकेट बनाकर बांटने शुरू किए। कच्चा राशन ज़रूरत मंदों को फोन के माध्यम से उनके घर पहुंचाने का काम करने लगे, धीरे धीरे शहर में रहने वाले ग़रीबों के खाने की व्यवस्था होने लगीं, बिना भेदभाव के सभी जरूरतमंदो की मदद करते हुए सच्चे हिन्दुस्तानी होने का फर्ज़ निभाने और इंसानियत के पैग़ाम को बढ़ावा देकर इंसान होने का कर्तव्य निभा रहें हैं। 


 शहरभर में जरुरतमंदो की करते मदद..


राजधानी लखनऊ में ऐसे जाबाज सिपाही मौजूद है। लखनऊ की उम्मीद संस्था, वन फैमिली सामाजिक संस्था, रहमानी मसीहा फ़ाउंडेशन, इंसानियत वेलफियर सोसाइटी, ऑल इंडिया पयामे इंसानियत फोरम, सलाम लखनऊ दी मिरर ऑफ कल्चर सोसाइटी, आर के पैलेस, कामायनी संस्था, भारत सृजन, प्रसादम संस्था सय्यद सूफ़ी इज़हार अली, सय्यद राशिद अली मीनाई ،सोहेल खान, सय्यद रफत रिज़वी, आरके पैलेस के राजेश जैसवाल, आमिर मुख्तार, डॉ सलीम अहमद, हाजी सईद अहमद, ऋतुराज रस्तोगी, अहमद नबील, ज्ञानेन्द्र दत्त बाजपेई, मोइनुद्दीन इस्लाम सूफ़ी बस्तवी, डॉ उमंग खन्ना, दानिश गुड्डू मेकरानी, मो. सिराजजुद्दीन सैफ फारूख खान चाँद खान, उस्ताद गुलशन भारती, यूनुस खान गौरव निगम, डॉ आरिफ खान, फैज़ अहमद, डॉ फरीद सिद्दीक़ी, इमरान कुरैशी, ललित सिंह पोखरियाल, अर्पित मिश्रा बाबा, सय्यद यासिर रिज़वी, काशीफ़, नावेद, अबदुल्ला खान आदि जो सरकार के आदेश का पालन करते हुए दिन और रात सिर्फ इंसानों और इंसानियत को बचाने के लिए काम कर रहे हैं। इनके साथ ही कैम्पवल रोड, बालागंज और दूबग्गा में डॉ सलीम अहमद और नबील अहमद ने दिन रात ड्यूटी कर रहे पुलिस कर्मियों को बिस्कुट के पैकेट बांटने का भी काम कर रहें हैं, सभी देशवासियों को धर्म जाती भाषा हर भेदभाव से ऊपर उठकर देश हित के लिए काम करने की ज़रूरत है हर इंसान, शासन, प्रशासन, के पदाधिकारियों, को अपनी ज़िम्मेदारी से अपने काम को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करने की आवश्यकता है। ऐसे ही अगर भेदभाव को भूलकर लोगों के काम आते रहें तो हमारी एकता, प्रेम, भाइचारे, गंगा जमुनी तहज़ीब इंसानियत और देश प्रेम के जज़्बे के आगे हारेगा कोरोना वाॅयरस ।


रिपोर्ट @ आफाक अहमद मंसूरी