देशभर में यस बैंक के खाताधारकों को झटका, नहीं निकाल सकेंगे 50 हजार से ज्‍यादा


देशभर में यस बैंक के खाताधारकों को झटका, नहीं निकाल सकेंगे 50 हजार से ज्‍यादा 



 नेट बैंकिंग और एटीएम सेवा बंद कर दी गई, मुंबई पुलिस ने फौरन अलर्ट किया जारी


6 मार्च 2020, लंबे समय से फंड जुटाने के लिए संघर्ष कर रहे यस बैंक पर अब रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से कुछ नियम लागू कर दिए गए हैं, जिसके बाद यस बैंक के ग्राहकों का संकट बढ़ गया है। भारतीय रिजर्व बैंक RBI ने नकदी के संकट से जूझ रहे यस बैंक के निदेशक मंडल (बोर्ड) को भंग करते हुए प्रशासक नियुक्त कर दिया है। इसके साथ ही आरबीआई ने गुरुवार को अगले आदेश तक यस बैंक के खाताधारकों के लिए निकासी की सीमा 50,000 रुपये तय की है।
यस बैंक का नियंत्रण भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में वित्तीय संस्थानों के एक समूह के हाथ में देने की तैयारी की गई है। RBI ने देर शाम जारी बयान में कहा कि यस बैंक के निदेशक मंडल को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है और SBI के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (CFO) प्रशांत कुमार को इसका प्रशासक नियुक्त किया गया है। जैसे ही गुरुवार शाम को यस बैंक पर निकासी करने पर एक कैप लगाई गई तो एटीएम पर अचानक भीड़ लग गई, यस बैंक के ग्राहक तुरंत ही एटीएम पर पहुंचे और अपना पैसा निकालने की कोशिश की, मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों में देर रात को यस बैंक के एटीएम पर लोगों की भीड़ दिखी और बैंक ग्राहकों में डर कायम हो गया ।  दरअसल बैंक ने एक के बाद एक ऐसी कई कंपनियों को लोन दिए हैं जो उसे लोन नहीं चुका पाई हैं। इसकी वजह से बैंक की बैलेंस शीट पर बैड लोन का बोझ बढ़ गया। यस बैंक ने जिन कंपनियों को लोन दिया है उनमें IL&FS, दीवान हाउसिंग फाइनेंस, जेट एयरवेज, कॉक्स एंड किंग्स, CG पावर, कैफे कॉफी डे, अल्टिको शामिल हैं। यस बैंक के लोन बुक का एक बड़ा हिस्सा इन कंपनियों के नाम है। ये कंपनियां लोन रीपेमेंट नहीं कर पाई जिसका असर यस बैंक पर पड़ा।  बैंक की शुरुआत 2003 में हुई थी। एक दशक में ही बैंक के पास 3 लाख करोड़ रुपए का एसेट बुक कवर बैड लोन में बदल गया। स्टॉक मार्केट हमेशा अच्छी ग्रोथ वाली कंपनियों की अहमियत देता है। इसका फायदा यस बैंक को भी मिला। लेकिन आज यस बैंक के शेयर 57.07 फीसदी गिरकर 15.80 रुपए पर आ गए। 
यस बैंक के जितने लोन डूबे हैं उनमें से ज्यादातर उसने 2008 में दिए थे। उस वक्त इकोनॉमिक क्राइसिस थी। फिलहाल बैंक के लोन बुक का 31,000 करोड़ रुपए से ज्यादा लोन BB रेटिंग या इससे कम की रेटिंग पर है। इस रेटिंग वाली कंपनियों की क्वालिटी अच्छी नहीं होती है। यहां तक कि बैंक ने खुद माना है कि उसके लोन बुक का 25,000 करोड़ रुपए का लोन बैड लोन बन सकता है।
हालांकि जब बैंक के नए CEO रवनीत गिल ने अच्छी शुरुआत की थी। एसेट क्वालिटी को लेकर वह पारदर्शी थे। पिछले कुछ महीनों से बैंक ने रियल एस्टेट कंपनियों और NBFC कंपनियों को लोन देना बंद कर दिया है। लेकिन इससे बैलेंस शीट पर कुछ खास असर नहीं हो पाया है। बैंक के पास कैपिटल बेस कम है। लिहाजा वो फंड जुटाने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिल पाई।
5 मार्च को सुबह सरकार ने SBI को कंसोर्शयिम बनाकर हिस्सेदारी लेने को कहा था। SBI और LIC 2 रुपए प्रति शेयर भाव के हिसाब से कुल 49 फीसदी हिस्सेदारी लेंगे।


केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खाताधारकों को भरोसा दिया..


हालकि इस पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खाताधारकों को भरोसा दिया है कि उनका पैसा डूबने नहीं दिया जाएगा, बैंक के खाताधारकों का पैसा सुरक्षित है, खाताधारकों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है वित्त मंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक के अधिकारी समस्या का समाधान निकालने में जुटे हुए हैं ।


AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने चिंता जाहिर करते हुए कहा..


वहीं दूसरी तरफ AIMIM प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसी मसले पर चिंता जाहिर की है, ओवैसी ने कहा कि पहले PMC बैंक गया और अब कमर्शियल बैंक भी इस हालत में है, यस बैंक मामले पर असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया कि पहले ILFS, दीवान जैसे नॉन बैंक थे जो कि गिरती अर्थव्यवस्था के चपेट में आए, फिर पीएमसी जैसा एक बड़ा कॉर्पोरेटिव बैंक इसकी चपेट में आ गया और अब यस बैंक जैसा पहला कर्मिशियल बैंक फेल हो गया है, आगे सवाल किया कि क्या हमारी बचत बैंक में सुरक्षित है ?


रिपोर्ट @ आफाक अहमद मंसूरी