अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन देशभर में महिलाओं का आंदोलन करना, ये देश की महिलाओं का अपमान


महिलाओं के प्रति हमदर्दी और सम्मान सिर्फ भाषणों में, हकीकत में नही दिखा


लखनऊ । भारतीय महिला की एक अलग ही पहचान है नारी के बहुत से रूप हैं वो अबला भी है शक्तिशाली भी है कमजोर है लेकिन वक़्त आने पर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और रजिया सुल्ताना भी है, महिलाओं के अधिकार, हिंसा की शिकार महिलाएं, बड़े-बड़े कानून, सशक्तिकरण के किस्से, ये वो तमाम चीजे हैं जिनपर अक्सर बहस तो होती हैं लेकिन ठोस कार्रवाई नही, आए दिन औरतों और बच्चियों पर अत्याचार बलात्कार जैसे घिनौने अपराध बढते जा रहें हैं लेकिन नारी के पक्ष में ऐसे अपराध को रोकने और ख़तम करने के लिए ठोस कानून नहीं बनाया जाता है आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को लेकर खूब बाते होंगी लेकिन महिलाओं की परेशानी और समस्याओं पर कोई विचार नही होगा देशभर में सड़कों पर उनकी आवाज को तो सुना जा रहा है लेकिन बेटी बचाव बेटी पढ़ाव जैसे स्लोगन को अनसुना करते हुए उनकी आवाज को दबाया जा रहा है अब तो बेटियों से हमदर्दी सिर्फ भाषणों में सुनने को मिलती है । 


 महिला दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, अपना सोशल मीडिया अकाउंट महिलाओं को देंगे


महिला दिवस पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को खुद ट्वीट कर सोशल मीडिया से ‘संन्यास’ पर खुलासा किया था उन्होंने कहा था कि 8 मार्च को महिला दिवस के अवसर पर वो अपना अकाउंट महिलाओं को देंगे, जिनका जीवन हमें प्रेरित करता हो, पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘इस महिला दिवस के दिन मैं अपना सोशल मीडिया अकाउंट ऐसी महिलाओं को देना चाहता हूं, जिनकी जिंदगी और काम हमें प्रभावित करता हो, प्रधानमंत्री का  महलाओ के लिए ऐसा सम्मान उनके भाषणों में कई बार सुनने को मिला लेकिन जब ऐसा देखने की बात आती है तो पूरे भारत में महिलाएं जिस तरह से सड़कों पर निकलकर संविधान के अनुसार और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज उठा रही हैं और अपने हक के लिए धरने पर बैठी प्रधानमंत्री से अपनी मांगे रखते हुए आग्रह कर रही हैं तो उस वक़्त प्रधानमंत्री का महिलाओं के प्रति हमदर्दी रखना और महिलाओं को सम्मान देना देखा जा सकता है महीनों से बैठी महिलाएं दिल्ली के शाहीन बाग में लखनऊ के घंटाघर पर लेकिन उनकी आवाज सुनने और उनकी समस्याओं का समाधान निकालने के बजाए उन महिलाओं पर अत्याचार होना, उनपर इल्जाम लगाए जाना, उनके साथ बर्बरता होना, उनके कंबल और टेंट को हटाया जाना, सुनसान इलाके पर महिला को छोड़ दिया जाना इतना ही नही खुले आसमान में सर्दी में दिन और रात गुजारना, बरसात से होकर गुजरना, सर्दी और बारिश से कुछ महिलाओं का इस दुनिया से चले जाना, इन सबके बावजूद देश और प्रदेश के जिम्मेदारों को तमाम जानकारी के बाद भी इस पर चुप रहना, ये महिलाओं का सम्मान नही बल्कि देश की तमाम महिलाओं का अपमान है साथ ही महिला दिवस के दिन महिलाओं का सड़कों पर आंदोलन करना महिला दिवस का अपमान है ।


रिपोर्ट @ आफाक अहमद मंसूरी