लखनऊ में फिर से जिंदा होगी मवैया झील, पिकनिक स्पॉट में की जाएगी तब्दील


 


लखनऊ में फिर से जिंदा होगी मवैया झील, पिकनिक स्पॉट में की जाएगी तब्दील।


अब आप लखनऊ में ही झील के किनारे चौपाटी जैसा आनंद ले सकेंगे। झील भी कोई छोटी नहीं है, जहां भीड़ होने से परेशानी हो। करीब पंद्रह बीघा क्षेत्रफल वाली झील की लंबाई एक किलोमीटर है। झूले भी बच्चों को झील की तरफ खींचने का काम करेंगे।
शहर की सबसे बड़ी झील हैवतमऊ मवैया के दिन बहुरने वाले हैं। रायबरेली रोड के सबसे बड़े पार्क कालिंदी के सामने झील होने से भी यह इलाका चौपाटी की तरह विकसित हो सकेगा। लंबे समय बाद शहर की किसी झील या तालाब को संवारा जा रहा है। केंद्र सरकार की अमृत योजना में रायबरेली रोड की हैवतमऊ मवैया झील को चयनित कर लिया गया है। बीस करोड़ के बजट पर भी मुहर लग गई है और किस कंपनी को काम करना है, इसकी चयन प्रक्रिया चल रही है।
करीब डेढ़ दशक पहले गांव से शहर में शामिल हुए हैवतमऊ मवैया के आसपास कई कॉलोनी विकसित हो चुकी है। बड़े बड़े अपार्टमेंट खड़े हो गए हैं लेकिन प्रदूषित हो रही झील इलाके के लिए कोढ़ साबित हो रही थी। अच्छी बात यह है कि झील पर भू-माफिया की नजर नहीं पड़ी और कुछ आंशिक कब्जे ही हैं। करीब चार लाख की आबादी की जलनिकासी का केंद्र झील बनकर रह गई थी। सीवर यहां के पानी में घुल रहा था। कुछ लोगों ने उसे कूड़ाघर भी बना लिया था।
सीवर से राहत मिलेगी
झील आसपास के नालों के गिरने से हर दिन प्रदूषित हो रही थी। इसमें आसपास के इलाके का सीवर भी घुल रहा था, लेकिन अब झील के पानी को साफ करने के साथ ही वहां गिरने वाले नाले के पानी को शोधित किया जाएगा। इसके लिए एसटीपी भी लगाया जाना है। वेटलैंड कांस्टैक्टेड सिस्टम तकनीक पर आधारित दो एसटीपी झील के पानी को साफ रखेंगे।
अभी ऐसा है पानी
पानी में बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड), सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) पीएच, वैल्यू, नाइट्रोजन लेवल की मात्रा अधिक पाई गई है। यह मात्रा नालों के पानी में अधिक होने से ही झील हर दिन प्रदूषित हो रही थी।
भूजल स्रोत है
इस झील में भूजल स्रोत का भी पता चला है। इसलिए झील के तल पर जमा कीचड़ और अन्य सामग्री को हटाकर भूजल स्रोत को खोला जाएगा।
ये होंगे काम


जागिंग ट्रैक


जेट्टी और बोटिंग


गार्डन


बाउंड्री वॉल पार्किंग


पब्लिक टॉयलेट


सोलर लाइटिंग


 


रिपोर्ट@त्रिलोकी नाथ