गोमतीनगर उजरियांव में 23वें दिन भी महिलाओं का अहिंसापूर्वक आंदोलन प्रगति पर, महिलाओं ने पेश की भारतीय एकता की मिसाल

 


 




गोमतीनगर उजरियांव में 23वें दिन भी महिलाओं का अहिंसापूर्वक आंदोलन प्रगति पर, महिलाओं ने पेश की भारतीय एकता की मिसाल


लखनऊ । जिस तरह से पूरे देश में नागरिक संशोधन कानून और एनआरसी  पर विरोध प्रदर्शन चल रहें है ऐसा लगता है कि एक आंधी की लहर चल पड़ी है जगह जगह सरकार के खिलाफ लोगों में गुस्सा है खासकर महिलाएं निकल पड़ी है संविधान को बचाने और अपनी आजादी को लेकर नारे लगाती हुई उत्तर प्रदेश की राजधानी नवाबों के शहर लखनऊ में महिलाओं का बढ़ता जन आक्रोश साफ देखा जा सकता है कि जिस तरह से दिल्ली का शहीनबाग लखनऊ का घंटाघर बन चुका है वहीं दूसरी तरफ लखनऊ गोमतीनगर का उजरियाॅव भी अब घंटाघर बन गया है दर्जन भर महिलाओं से शुरू हुआ गोमतीनगर की प्रदर्शनकारी महिलाएं आज सैकड़ों की संख्या में आंदोलन करती नजर आ रही है 20 जनवरी से शुरू हुआ ये आंदोलन जिसके आज 22 दिन हो चुके है लेकिन अभी तक सरकार का कोई भी नुमाइंदा इनसे बात करने और इनकी समस्याओं का हल निकालने कोई नही आया इन सभी महिलाओं का कहना है कि जब तक ये काले कानून को सरकार वापस नहीं लेती है तब तक हम सभी महिलाएं अपने कदम पीछे नहीं करेंगी, ऐसे ही अपनी आवाज उठाते रहेंगे चाहे प्रशासन कितना भी परेशान करें चाहे हमारे टेंट उखाड़े चाहे हमसे जितनी भी बदसलूकी और बर्बरता दिखाएं हम सब ऐसे ही डटे रहेंगे नागरिकता कानून के इस विरोध प्रदर्शन में सभी धर्म की महिलाएं इस प्रदर्शन का हिस्सा बन चुकी हैं, हिदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाकर देशभक्ति के गीत गाकर प्रदर्शन में अपनी भूमिका शांतिपूर्ण तरीके से निभा रही हैं, उन सभी का कहना है कि जब हम सब संविधान के अनुसार शांति से प्रदर्शन कर रहें हैं तो इसमें किसी को क्या परेशानी है जब हम सभी महिलाएं किसी को कोई तकलीफ़ नहीं दे रहें हैं न ही सरकार की संपत्ति का नुक़सान किसी भी तरह का कोई नुक़सान कर रहें हैं और न ही किसी से कुछ मांग रहें हैं बस हमसब तो अपने देश में रहने की खातिर अपना अधिकार मांग रहें हैं और हम सभी देश की जनता है, सरकार हम बनाते है तो सरकार को भी जनता की बात सुनते हुए उसकी समस्या का समाधान करना चाहिए इन सबके बावजूद भी अगर सरकार कुछ नही करती है तो हम सभी इसी तरह से शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करते हुए विरोध जताकर अपनी आवाज उठाते रहेंगे ।


रिपोर्ट @ आफाक अहमद मंसूरी