जेल से छूटते ही रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब पहुंचे घंटाघर लखनऊ
-देश की बहन, बेटियों ने दिखा दिया है कि देश में संविधान का राज होगा न कि संघ का- मुहम्मद शुऐब-
लखनऊ, 19 जनवरी 2020 महीना भर बाद लखनऊ जेल से रिहा होने पर रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब सीधे नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ घंटाघर लखनऊ में चल रहे महिलाओं के धरने पर पहुंचे। धरने को सम्बोधित किया और वहां मौजूद मीडिया से भी बात की।
76 वर्षीय मुहम्मद शुऐब एडवोकेट ने कहा कि ये सरकार अगर समझती है कि जेलों में डालकर या ज़्यादतियां करके जन आंदोलनों को कुचल देगी तो ये उसकी भूल है। हम जेलों से डरने वाले लोग नहीं हैं। जब मुझे गिरफतार किया गया तो सबसे पहले रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव के बारे में पूछा गया कि वो कहां हैं। राजीव यादव का नाम लेकर कई अन्य लोगों से भी पूछताछ की गई। सीओ पुलिस ने मुझे और मेरे घर वालों को भी फर्जी मुकदमों में जेल में डालकर ज़िंदगी खराब करने की धमकी दी। जिस तरह से गालियों के साथ राजीव यादव के बारे में पुलिस अधिकारी लगातार पूछताछ करते रहे उससे प्रतीत होता है कि यह सरकार जनता के हित की बात करने वालों को साज़िश के तहत टार्गेट करने पर आमादा है।
उन्होंने कहा कि अगर संविधान के खिलाफ कुछ भी होता है तो हम सबका कर्तव्य है कि उसका विरोध करें और ऐसा करने का संविधान हमें अधिकार देता है। रिहाई मंच का हर सिपाही संविधान बचाने की यह लड़ाई जारी रखेगा। हम जेल की दीवारों से डरने वाले लोग नहीं हैं और न ही दमन के आगे झुकने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि वहां थाने में पथराव करने वाले कई व्यक्तियों को पकड़कर ले जाया गया था। इस बीच भाजपा कार्यालय से फोन आता है कि वे उनके लोग हैं। पुलिस का रवैया तुरंत बदल जाता है। उन्हें थाने में चाय पिलाई जाती है और फिर सम्मान के साथ भाजपा दफतर भेज दिया जाता है जबकि बेकसूरों को फर्जी मुकदमों में जेल भेजा जाता है ।
इसलिए मैं कह सकता हूं कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और जानबूझकर उसे हिंसक दिखाने के लिए पथराव साजिश के तौर पर करवाया गया था। विरोध के स्वर का दमन पहले भी किया गया है और आगे भी ऐसी साज़िशें की जाती रहेंगी लेकिन हमारी बहनों-बेटियों ने जो हिम्मत दिखाई है उसको हम सलाम करते हैं, यह विरोध उस समय तक जारी रहेगा जब तक कि यह गैर संवैधानिक अधिनियम वापस नहीं हो जाता है।
रिपोर्ट @ आफाक अहमद मंसूरी