प्रस्ताव भेजने के बाद भी नमामि गंगे में नहीं शामिल हो सकी सई नदी


 


प्रस्ताव भेजने के बाद भी नमामि गंगे में नहीं शामिल हो सकी सई नदी ।


प्रस्ताव भेजने के बाद भी नमामि गंगे में नहीं शामिल हो सकी सई संकट में नदी का अस्तित्व, कचरे से सिमटा आकार, नदी में गिराई जा रही शहर की गंदगी 
रायबरेली में कंपनियों का जहरीला पानी गिराने के कारण प्रदूषित हो चुका है जल 
गंगा को निर्मल बनाने के लिए कानपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही मंथन कर रहे हों, लेकिन शहर की जीवनदायिनी सई नदी को प्रस्ताव भेजने के बाद भी नमामि गंगे योजना में शामिल नहीं किया गया। जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर सरकार ने मंजूरी नहीं दी। सरकार की उपेक्षा के चलते अब नदी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। रायबरेली की मिलों की गंदगी गिराए जाने के कारण नदी का पानी आचमन के लायक भी नहीं बचा है।
पानी विषैला हो गया है। शहर के लगभग आधा दर्जन से अधिक गंदे नालों का पानी भी नदी में गिराया जा रहा है। अतिक्रमण और कचरे के चलते नदी का आकार लगातार सिकुड़ता जा रहा है। 
कानपुर में शनिवार को नमामि गंगे की समीक्षा बैठक करने आए प्रधानमंत्री से बेल्हा के लोग भी उम्मीद लगाए बैठे थे कि बेल्हा की जीवनदायिनी सई को भेजे गए प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है। मगर शनिवार को पीएम की घोषणाओं में सई का नाम शामिल नहीं होने से मायूसी हाथ लगी है। हरदोई जिले के भिजवान झील से निकलने वाली सई जिले के 136 गांवों को सिंचित करने के साथ 116 किमी के दायरे में फैली हुई है। प्रतापगढ़ जिले की सीमा मुस्तफाबाद से प्रवेश करने वाली सई घुइसरनाथधाम, बालकेश्वरनाथधाम, बेल्हादेवी, बेलखरनाथधाम, बाराही देवी आदि पौराणिक स्थलों से होते हुए जौनपुर जिले की सीमा पर दानवान नामक गांव में प्रवेश करती हैं। हरदोई से रायबरेली तक निर्मल जल को रायबरेली की मिलों ने जहरीला बना दिया है। गर्मी के दिनों में नदी के पानी का रंग हल्का लाल हो जाता है। शहर के लगभग आधा दर्जन गंदे नालों का पानी भी सई में गिर रहा है। जिससे पानी विषैला होने के साथ ही कचरे से आकार भी सिमटता जा रहा है। सई को नई आकार देने के लिए नमामि गंगे योजना में सई को शामिल करने का प्रस्ताव भेजा गया, मगर केंद्र सरकार के मंजूरी नहीं देने से जीवनदायिनी पर संकट बरकरार है।
सई को आदिगंगा का स्वरूप माना गया है, जीवनदायिनी को वास्तविक स्वरूप देने के लिए नमामि गंगे योजना में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, मगर अभी तक मंजूरी नहीं मिली है।
लालजी दूबे, डीपीआरओ।


त्रिलोकी नाथ 
   रायबरेली