लेखपालो ने अपनी जायज मांगो को लेकर मुख्यमंत्री को दिया सूचना पत्र


 


लेखपालो ने अपनी जायज मांगो को लेकर मुख्यमंत्री को दिया सूचना पत्र


आठ सूत्रीय मांग पत्र के लिए 5 नवंबर 2019 से आंदोलन के बावजूद कोई प्रगति न होने के कारण 10 दिसंबर 2019 से पूर्व का बहिष्कार किए जाने विषयक लेखपाल संघ की मांगों के संबंध में उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री महोदय व जिलाधिकारी को पत्र द्वारा संज्ञानिक किया गया, वर्तमान में प्रदेश में लेखपाल के 8000 चल रहे पदों का कार्य के रूप में अतिरिक्त कार्य करना पढ़ रहा है जिससे सरकार के न्यूनतम 240 करोड़ रूपीस वेतन की बचत हो रही है लेखपालों के इतना कार्य करने के पश्चात भी शासन के अधिकारियों तथा लेखपालों को संसाधन एवं वेतन भत्ते की सुविधा अनमोल करने में अपेक्षा की जा रही है जिसके कारण लेखपाल बार-बार अपनी जायज मांगों को लेकर आंदोलन को बाध्य हो रहे हैं।


लेखपालों के आंदोलन के मुख्य कारण


बार-बार आश्वासन के बावजूद शासनादेश निर्गत नहीं किए जाते जो शासनादेश पूर्व से निर्गत है उनका कियान्यवन नहीं किया जाता है शासनादेश निर्गत होने के बावजूद राजस्व परिषद द्वारा मात्र  270 लेखपालों का ही अंतरमंडलीय स्थानांतरण किया गया जिला अधिकारियों द्वारा डिस्ट्रिक्ट योजना में ₹5 प्रति प्रमाण प्रमाण पत्र और ₹251 प्रतिमाह भत्ता का भुगतान आज तक नहीं दिया गया प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना में कार्य कराया गया किंतु केंद्र सरकार द्वारा भुगतान नहीं किया गया लेखपाल को पलकों में कार्य करने एवं तहसील आवागमन में 50 किलोमीटर मोटरसाइकिल चलाने के लिए शासन द्वारा मात्र 333 यात्रा भत्ता दिया जाता है जबकि ग्राम विकास अधिकारी ग्राम पंचायत अधिकारी को ₹700 प्रतिमाह मिलते हैं और बेसिक शिक्षा विभाग खंड शिक्षा अधिकारियों को ₹12000 प्रति एवं संबंधियों को ₹3000 प्रति माह यात्रा भत्ता देने के शासनकाल हाल ही में निर्गत किए गए हैं किंतु लेखपालों को मोटरसाइकिल भत्ता अनुमन्य नहीं किया जा रहा है 95 प्रतिशत लेखपाल 35 व 36 वर्ष की सेवा पर भी बिना प्रोमोशन के है लेखपाल पद से ही सेनाव्रत्ती हो जाते है जबकि अन्य विभागों में सेवाकाल में 3-3 कर्मचारी प्राप्त कर रहे हैं शासन द्वारा राजस्व निरीक्षक के 1405 पदों का सृजन किया जा रहा है और ना ही ऐसी व्यवस्था के प्रति गंभीर है जिससे लेखपाल को भी सेवाकाल में तीन प्रमोशन मिल सके ऐसी व्यवस्था के कलेक्टर पुलिस अवर अभियंता आदि को पूर्व की व्यवस्था के सापेक्षिक लगे हैं लेखपालों के लाभ पूर्व से भी कम हो गए हैं जिसके कारण लेखपाल संवर्ग में ही दो वर्ग बन गए हैं 30 नवंबर 1994 को 16 वर्ष 42 मिल रहा है जबकि 30 नवंबर 1994 को होने वाले 16 वर्ष की सेवा के की सेवा पर ग्रेड पे 2800 रहा है वर्ष 2001 में चयनित लेखपालों को राजस्व परिषद द्वारा विलंब से प्रशिक्षण कराने एवं रिजल्ट निकालने में देरी करने के कारण पुरानी पेंशन से वंचित कर दिया गया और इन्हें वर्तमान लेखपाल सेवा नियमावली 2006 की व्यवस्था के अनुसार ट्रेंनिंग पीरियड को सेवाकाल मानने का लाभ भी नहीं किया जा रहा है कानूनगो ग्राम सेवक पंचायत सचिव व कनिष्ठ लिपिक नलकूप चालक नलकूप मिस्त्री आदि अनेकों कर्मचारियों के पद नाम कई कई बार बदल दिए गए हैं किंतु लोकपाल लेखपाल का पदनाम एक बार भी नहीं बदला गया जबकि इसमें कोई व्यक्ति मार भी शासन पर नहीं पड़ता इस बात की अनापत्ति शासन के कार्मिक विभाग ने प्रदान कर दी है नेपाल उसे अपने कर्तव्यों के साथ-साथ अन्य अनेकों अनेक विभागों के कार्य एवं योजनाओं से संबंधित कार्य कराए जाते हैं फिर भी वेतन उच्चरण नहीं किया जा रहा है जबकि अन्य प्रदेशों में लेखपालों का वेतन चित्रण किया जा चुका है जनपदों में अधिकारियों द्वारा लेखपालों की समस्याओं को नहीं सुना जाता है इसके विपरीत अन्य विभागों के कार्यो के लिए लेखपालों को दंडित किया जाता है सरकारी आवास उपलब्ध ना होने पर ना होने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रात्रि निवास असुरक्षित होने के बावजूद रात्रि निवास के नाम पर लेखपालों का उत्पीड़न किया जाता है शासन के अधिकारियों द्वारा लेखपालों की मांगों के संबंध में आज तक उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ की बैठक विभागीय मंत्री माननीय मंत्री जी के साथ नहीं कराई गई अतः महोदय से निवेदन है कि अपने स्तर से लेखपालों की पीड़ा मुख्यमंत्री जी तक पहुंचने की कृपा करें जिससे माननीय मुख्यमंत्री जी उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ प्रतिनिधि मंडल के साथ बैठकर लेखपालों की पीड़ा सीधे सुनकर न्याय कर सकें ।


अफाक अहमद मंसूरी की रिपोर्ट